Electricity की उत्पत्ति के बाद से ही लोगों ने इसका पूरी तरह से इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, और यह कारण है कि इसके फायदे बहुत सारे हैं। विद्युत को उत्पन्न होने के बाद से लेकर उसे फैलाने की प्रक्रिया में Transformer ने एक अहम भूमिका निभाई है।
हमारे आसपास बहुत से प्रकार के Transformer देखने को मिलते हैं। कुछ के आकार बहुत छोटे होते हैं तब कुछ के आकार बहुत बड़े होते हैं। इन्हें इनके उपयोग के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है। बहुत से लोग ट्रांसफार्मर देखते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि यह किस काम में लगते हैं।
ट्रांसफार्मर की संरचना एक दृष्टि में जैसे एक दैत्य जैसी दिखती है, लेकिन इसकी उपयोगिता के विषय में जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है। अगर आपको इन मशीनों के बारे में कुछ भी नहीं पता है, तो आज का यह लेख ट्रांसफार्मर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेगा, जिससे आप इसे सही तरीके से समझ पाएं।
ट्रांसफार्मर एक ऐसा उपकरण है जो इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को एक सर्किट से दूसरे में मार्गांकन करता है, और यह सभी कार्रवाइयों को एक चुम्बकीय क्षेत्र के माध्यम से बिना किसी फ़्रीक्वेंसी के परिवर्तन के करता है। इसके प्राथमिक वाइंडिंग को प्राथमिक वाइंडिंग कहा जाता है, जो विद्युत स्रोत से विद्युत ऊर्जा को प्राप्त करता है, और दूसरे सर्किट को जिससे विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है, को सेकंडरी वाइंडिंग कहा जाता है।
आपकी जानकारी सही है कि इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर का आविष्कार विलियम स्टेनले द्वारा 1885 में किया गया था। ट्रांसफार्मर के उपाय को लेकर कई वैज्ञानिकों की योगदान रहा है, जिसमें माइकल फैराडे भी शामिल हैं। फैराडे ने 1831 में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंद्रधनुष का पहला प्रदर्शन किया था, जो कि ट्रांसफार्मर के विकास में महत्वपूर्ण था। यह एक अभिन्न भूमिका नहीं हो सकती है कि विभिन्न वैज्ञानिकों ने इस प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया है।
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